कन्या लग्न की संपूर्ण जानकारी

Kanya Lagna Sampurna
Share this to

कन्या लग्न वाले जातक के गुण

कालपुरुष की कुंडली में कन्या राशि छठे भाव में पड़ती है और छठा भाव रोग, ऋण व शत्रुओ का माना जाता है। इसी भाव से प्रतियोगिताएँ व प्रतिस्पर्धाएँ भी देखी जाती हैं। जब यह राशि लग्न में उदय होती है तब व्यक्ति को जीवन में बहुत सी प्रतिस्पर्धाओ का सामना करना पड़ता है। इसलिए यदि आपका जन्म कन्या लग्न में हुआ है तो आपको जीवन में बिना प्रतिस्पर्धा के शायद ही कुछ मिले। जीवन में एक बार थोड़ा संघर्ष करना ही पड़ता है।

कन्या लग्न के प्रभाव से आपके भीतर संघर्षों से लड़ने की क्षमता होती है क्योकि यह राशि पृथ्वी तत्व राशि मानी गई है इसलिए यह परिस्थिति से पार निकलने में सक्षम होती है। बुध को बौद्धिक क्षमता का कारक माना गया है इसलिए बुध के प्रभाव से आप बुद्धिमान व व्यवहार कुशल व्यक्ति होते हैं। ये लोग दिमाग अधिक काम में लेते हैं सो शरीर का इस्‍तेमाल कम से कम करने का प्रयास करते हैं। इन्‍हें आराम की अवस्‍था पसंद है। बुध के पूरे प्रभाव के चलते ये लोग नए कपड़े भी पहने तो वे मैले जैसे दिखाई देंगे।

कन्या लग्न में लग्न का स्‍वामित्‍व बुध के पास होता है। ऐसा जातक लम्‍बा, पतला, आंखें काली, भौंहें झुकी हुई, आवाज पतली और कर्कश होती है। ऐसे जातक हमेशा तेज चलते हैं और अपनी उम्र से कम के दिखाई देते हैं। ये लोग लेखा कार्यों में होशियार होते हैं और अपनी नौकरी को लाभ के अवसर के अनुसार लगातार बदलते रहते हैं। आप तर्क-वितर्क में भी कुशल होते हैं और हाजिर जवाब भी होते हैं। आपके इसी गुण के कारण सभी लोग आपसे प्रभावित रहते हैं। यहीं पर बुध उच्‍च का भी होता है। सो ये लोग किसी न किसी रूप में फायनेंस, पब्लिकेशन या अन्य पढ़ने लिखने के काम से जुड़े हुए होते हैं।

अपनी जन्म कुंडली से जाने 110 वर्ष की कुंडली, आपके 15 वर्ष का वर्षफल, ज्योतिष्य रत्न परामर्श, ग्रह दोष और उपाय, लग्न की संपूर्ण जानकारी, लाल किताब कुंडली के उपाय, और कई अन्य जानकारी, अपनी जन्म कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें सैंपल कुंडली देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।

[toc]

कन्या लग्न में ग्रहों के प्रभाव

कन्या लग्न में बुध ग्रह का प्रभाव

कन्या लग्न में बुध ग्रह पहले और दशम भाव के मालिक हैं। इसलिए यह लग्नेश होकर कुंडली के अतियोग कारक ग्रह माने जाते हैं। पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, नवम, दशम और एकादश भाव में बुध देवता अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमतानुसार शुभ फल देतें हैं। तीसरे, छठें, सातवें (नीच), आठवें और बारहवें भाव में बुध अशुभ बन जाते हैं। इनकी दशा-अंतर्दशा में दान और पाठ करके इनकी अशुभता दूर की जाती है। निर्बल अवस्था में बुध का रत्न पन्ना पहनकर उनका बल बढ़ाया जाता है।

कन्या लग्न में शुक्र ग्रह का प्रभाव

शुक्र देवता इस लग्न कुंडली में दूसरे और नवम भाव के स्वामी होने के कारण अति योगकारक ग्रह होते हैं। दूसरे, चौथे, पाँचवें, सातवें, नौवें, दशम और एकादश भाव में शुक्र देवता अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमतानुसार शुभ फल देते हैं। पहले (नीच), तीसरे, छठे, आठवाँ और द्वादश भाव में शुक्र देव उदय अवस्था में मारक बनकर अशुभ फल देते हैं। किसी भी भाव में अस्त शुक्र देव का रत्न हीरा और ओपल पहनकर उनका बल बढ़ाया जाता है।

कन्या लग्न में मंगल ग्रह का प्रभाव

मंगल देवता इस लग्न कुंडली में तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं। लग्नेश बुध के अति शत्रु होने के कारण वह कुंडली के अति मारक ग्रह माने जाते हैं। मंगल देवता कुंडली के किसी भी भाव में अपनी दशा-अंतर्दशा में क्षमतानुसार अशुभ फल देते हैं। कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव में मंगल देवता विपरीत राजयोग में आकर शुभ फल देने की भी क्षमता रखते हैं। परन्तु इसके लिए बुध देव का शुभ और बलि होना अनिवार्य है। इस कुंडली में मंगल का रत्न मूंगा कभी नहीं पहना जाता है। मंगल की अशुभता उसका दान-पाठ करके दूर की जाती है।

कन्या लग्न में बृहस्पति ग्रह का प्रभाव

कन्या लग्न की कुंडली में बृहस्पति देवता चौथे और सातवें दो केन्द्रों के मालिक होते हैं। सातावां भाव मारक स्थान होने के कारण बृहस्पति मारकेश भी होते हैं। इस लग्न की कुंडली में बृहस्पति अपनी स्थित के अनुसार अच्छा या बुरा फल देते हैं। पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, नवम, दशम और एकादश भाव में बृहस्पति देवता अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमता अनुसार शुभ फल देते हैं। कुंडली के किसी भी भाव में यदि गुरु देव अस्त अवस्था में विराजमान हैं तो उनका रत्न पुखराज पहन कर उनका बल बढ़ाया जाता है।

कन्या लग्न में शनि ग्रह का प्रभाव

कन्या लग्न की कुंडली में शनि देव पाँचवें और छठे भाव के मालिक होते हैं। शनि देव लग्नेश बुध के भी अतिमित्र हैं इसलिए वह कुंडली के योगकारक गृह माने जाते हैं। पहले, दूसरे, चौथे, पाँचवें, सातवें, नवम, दसम और एकादश भाव में शनि देव उदय अवस्था में अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमतानुसार शुभ फल देते हैं। कुंडली के किसी भी भाव में सूर्य के साथ अस्त अवस्था में पड़े शनि देव का रत्न नीलम पहन कर उनके बल को बढ़ाया जाता है। तीसरे, छठे, आठवें और बारहवें भाव में शनि देव यदि उदय अवस्था में हैं तो वह अशुभ हो जाते हैं। उनका पाठ पूजन और दान करके ही उनकी अशुभता को दूर किया जाता है।

कन्या लग्न में चंद्र ग्रह का प्रभाव

चंद्र देवता इस लग्न कुंडली में ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं परन्तु लग्नेश बुध के अति शत्रु होने के कारण चन्द्रमा कुंडली के मारक ग्रह माने जाते हैं। कुंडली के सभी भावों में चन्द्र देवता अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमतानुसार अशुभ फल देंगे। चन्द्रमा का रत्न मोती इस लग्न में उनकी स्थिति के अनुसार ज्योतिषी के परामर्श अनुसार पहना जाता है। चन्द्रमा की दशा अन्तरा में उनका दान-पाठ करके उनकी अशुभता को दूर किया जाता है।

कन्या लग्न में सूर्य ग्रह का प्रभाव

इस लग्न कुंडली में सूर्य देव द्वादश भाव के मालिक हैं इसलिए वह कुंडली के अति मारक ग्रह माने जाते हैं। कुंडली के सभी भागों में सूर्य देव अपनी दशा-अंतर्दशा में अपनी क्षमतानुसार अशुभ फल देते हैं। परन्तु कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव में स्थित सूर्य देव विपरीत राजयोग में आकर शुभ फल देने की क्षमता भी रखते हैं इसके लिए बुध का बलवान और शुभ होना अति अनिवार्य है। सूर्य का रत्न माणिक इस लग्न कुंडली में कभी नहीं पहना जाता अपितु उनकी दशा-अंतर्दशा में पाठ और दान करके उनके मारकेत्व को कम किया जाता है।

कन्या लग्न वाले जातकों की जन्म लग्न कुंडली में प्रथम भाव (जिसे लग्न भी कहा जाता है) में कन्या राशि या “6” नम्बर लिखा होता है I नीचे दी गयी जन्म लग्न कुंडली में दिखाया गया हैI

अपनी जन्म कुंडली से जाने 110 वर्ष की कुंडली, आपके 15 वर्ष का वर्षफल, ज्योतिष्य रत्न परामर्श, ग्रह दोष और उपाय, लग्न की संपूर्ण जानकारी, लाल किताब कुंडली के उपाय, और कई अन्य जानकारी, अपनी जन्म कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें सैंपल कुंडली देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।

कन्या लग्न में ग्रहों की स्तिथि

कन्या लग्न में योग कारक ग्रह (शुभ-मित्र ग्रह)

  1. बुध देव 1, 10 भाव का स्वामी
  2. शुक्र देव  2,9 भाव का स्वामी
  3. शनि देव 5, 6 भाव का स्वामी

कन्या लग्न में मारक ग्रह (शत्रु ग्रह)

  1. चन्द्रमा 11 भाव का स्वामी
  2. मंगल देव 3, 8 भाव का स्वामी
  3. सूर्य -12 -भाव का स्वामी

कन्या लग्न में सम ग्रह

  1. बृहस्पति 4, भाव 7, भाव का स्वामी

कन्या लग्न में ग्रहों का फल

कन्या लग्न में बुध ग्रह का फल

  1. कन्या लग्न में बुध देवता पहले और दशम भाव के मालिक हैं l इसलिए यह लग्नेश होकर कुंडली के अति योग कारक ग्रह हैं l
  2. पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, नवम, दशम और एकादश भाव में बुध देवता अपनी दशा- अन्तरा में अपनी क्षमता अनुसार शुभ फल देतें हैं l
  3. तीसरे, छठें, सातवें (नीच), आठवें और 12वें भाव में बुध अशुभ बन जाते हैं l इनकी दशा-अन्तरा में दान और पाठ करके इनकी अशुभता दूर की जाती है l
  4. सूर्य के साथ अस्त अवस्था में बुध का रत्न पन्ना किसी भी भाव में पहनकर उनका बल बढ़ाया जाता है l
  5. तीसरे, छठे, सातवें, आठवें और द्वादश भाव में यदि बुध देवता उदय अवस्था में है तो उनका दान किया जाता है l वह अशुभ फलदायक होते हैं l

कन्या लग्न में शुक्र ग्रह का फल

  1. शुक्र देवता इस लग्न कुंडली में दूसरे और नवम भाव के स्वामी होने के कारण अति योग कारक ग्रह हैं l
  2. दूसरे, चौथे, पाँचवें, सातवें, नौवें, दशम और एकादश भाव में शुक्र देवता अपनी दशा-अन्तरा में और अपनी क्षमतानुसार शुभ फल देते हैं l
  3. पहले (नीच), तीसरे, छठे, आठवाँ और द्वादश भाव में शुक्र देव उदय अवस्था में मारक बनकर अशुभ फल देते हैं l
  4. किसी भी भाव में अस्त शुक्र देव का रत्न हीरा और ओपल पहन कर उनका बल बढ़ाया जाता है l

कन्या लग्न में मंगल ग्रह का फल

  1. मंगल देवता इस लग्न कुंडली में तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं l लग्नेश बुध के अति शत्रु होने के कारण वह कुंडली के अति मारक ग्रह माने जाते हैं l
  2. मंगल देवता कुंडली के किसी भी भाव में अपनी दशा और अन्तर दशा में क्षमतानुसार अशुभ फल देते हैं l
  3. कुंडली के छठे, आठवें और 12वें भाव में मंगल देवता विपरीत राजयोग में आकर शुभ फल देने की भी क्षमता रखते हैं l परन्तु इसके लिए बुध देव का शुभ और बलि होना अनिवार्य है l
  4. इस कुंडली में मंगल का रत्न मूंगा कभी नहीं पहना जाता है l
  5. मंगल की अशुभता उसका दान – पाठ करके दूर की जाती है l

कन्या लग्न में बृहस्पति ग्रह का फल

  1. कन्या लग्न की कुंडली में बृहस्पति देवता चौथे और सातवें दो अच्छे घरों के मालिक हैं l अपनी स्थित के अनुसार वह कुंडली में अच्छा या बुरा फल देते हैं l
  2. पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, नवम, दशम और एकादश भाव में बृहस्पति देवता अपनी दशा – अन्तरा में अपनी क्षमता अनुसार शुभ फल देते हैं l
  3. तीसरे, पांचवें (नीच राशि), छठे, आठवें और द्वादश भाव में बृहस्पति देवता को केन्द्राधिपति दोष लग जाता है और वह दूषित हो कर, अपनी दशा – अन्तरा में वह अशुभ फल देते हैं क्यूंकि वह अपनी योगकारिता खो देते हैं l
  4. कुंडली के किसी भी भाव में यदि गुरु देव अस्त अवस्था में विराजमान हैं तो उनका रत्न पुखराज पहन कर उनका बल बढ़ाया जाता है l
  5. उदय अवस्था में यदि बृहस्पति देवता बुरे भावों में पड़े हैं तो उनका पाठ और दान करके उनकी अशुभता दूर की जाती है l
  6. कुंडली के पाँचवें भाव में उनकी नीच राशि होने के कारण वह अशुभ हो जाते हैं l

कन्या लग्न में शनि ग्रह का फल

  1. कन्या लग्न की कुंडली में शनि देव पाँचवें और छठे भाव के मालिक हैं l शनि देव की साधारण राशि मकर कुंडली के मूल त्रिकोण भाव में आती है l शनि देव लग्नेश बुध के भी अतिमित्र हैं इसलिए वह कुंडली के योग कारक गृह माने जाते हैं l
  2. पहले, दूसरे, चौथे, पाँचवें, सातवें, नवम, दसम और एकादश भाव में शनि देव उदय अवस्था में अपनी दशा – अंतरा में अपनी क्षमता अनुसार शुभ फल देते हैं l
  3. कुंडली के किसी भी भाव में सूर्य के साथ अस्त अवस्था में पड़े शनि देव का रत्न नीलम पहन कर उनके बल को बढ़ाया जाता है l
  4. तीसरे, छठे, आठवें और 12वें भाव में शनि देव यदि उदय अवस्था में हैं तो वह अशुभ हो जाते हैं l उनका पाठ पूजन और दान करके ही उनकी अशुभता को दूर किया जाता है l
  5. छठे और 12वें भाव उदय अवस्था में पड़े शनि देव विपरीत राजयोग में आकर शुभ फल देने की क्षमता भी रखते हैं परन्तु इसके लिए लग्नेश बुश का बलि और शुभ होना अतिअनिवार्य है l

कन्या लग्न में चंद्र ग्रह का फल

  1. चंद्र देवता इस लग्न कुंडली में ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं परन्तु लग्नेश बुध के अति शत्रु होने के कारण चन्द्रमा कुंडली के अति मारक ग्रह बने l
  2. कुंडली के सभी भावों में चन्द्र देवता अपनी दशा-अन्तरा में अपनी क्षमतानुसार अशुभ फल देंगे l
  3. चन्द्रमा का रत्न मोती इस लग्न में कभी भी नहीं पहना जाता l
  4. चन्द्रमा की दशा अन्तरा में उनका दान और पाठ करके उनकी अशुभता दूर की जाती है l

कन्या लग्न में सूर्य ग्रह का फल

  1. इस लग्न कुंडली में सूर्य देव द्वादश भाव के मालिक हैं इसलिए वह कुंडली के अति मारक ग्रह माने जाते हैं l
  2. कुंडली के सभी भागों में सूर्य देव अपनी दशा अन्तरा में अपनी क्षमतानुसार अशुभ फल देते हैं l परन्तु कुंडली के छठे, आठवें और द्वादश भाव में स्थित सूर्य देव विपरीत राजयोग में आकर शुभ फल देने की क्षमता भी रखते हैं इसके लिए बुध का बलवान और शुभ होना अति अनिवार्य है l
  3. सूर्य का रत्न माणिक इस लग्न कुंडली में कभी नहीं पहना जाता अपितु उनकी दशा अन्तरा में पाठ और दान करके उनके मारकेत्व को कम किया जाता है l

कन्या लग्न में राहु ग्रह का फल

  1. राहु देवता की अपनी कोई राशि नहीं होती राहु देव अपनी मित्र राशि और शुभ भाव में ही शुभ फल देते हैं I
  2. इस लग्न कुंडली में राहु देव पहले, दूसरे, पांचवें, नवम और दसम भाव में अपनी दशा -अन्तरा में अपनी क्षमतानुसार शुभ फल देते हैं I
  3. तीसरे (नीच राशि), चौथे (नीच राशि), छठे, सातवें, आठवें, एकादश और 12 वें भाव में राहु देव मारक बन जाते हैं I
  4. राहु देव का रत्न गोमेद कभी भी किसी जातक को नहीं पहनना चाहिए I
  5. राहु देव की दशा – अन्तरा में उनका पाठ और दान करके उनका मारकेत्व कम किया जाता है I

कन्या लग्न में केतु ग्रह का फल

  1. राहु देवता की तरह केतु देवता की भी अपनी कोई राशि नहीं होती I केतु देव अपनी मित्र राशि और शुभ भाव में ही शुभ फलदायक होते हैं l
  2. कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे (उच्च राशि), पांचवें भाव में शुभ फल देते हैंl
  3. तीसरे, छठे, सातवें, आठवें, नवम (नीच राशि), दसम (नीच राशि), एकादश और 12वें भाव में केतु देवता मारक बन जाते हैं l
  4. केतु देवता का रत्न लहसुनिया कभी भी किसी जातक को नहीं पहनना चाहिए l
  5. दशा – अन्तरा में केतु देवता का पाठ व दान करके उनके मारकेत्व को कम किया जाता हैl

अपनी जन्म कुंडली से जाने 110 वर्ष की कुंडली, आपके 15 वर्ष का वर्षफल, ज्योतिष्य रत्न परामर्श, ग्रह दोष और उपाय, लग्न की संपूर्ण जानकारी, लाल किताब कुंडली के उपाय, और कई अन्य जानकारी, अपनी जन्म कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें सैंपल कुंडली देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।

कन्या लग्न में धन योग

कन्या लग्न में जन्म लेने वाले जातकों के लिए धन प्रदाताग्रह शुक्र है। धनेश शुक्र की शुभ स्थिति से, धन स्थान से संबंध जोड़ने वाले ग्रहों की स्थिति से एवं धन स्थान पर पड़ने वाले ग्रहों की दृष्टि संबंध से जातक की आर्थिक स्थिति, आय के स्रोतों तथा चल अचल संपत्ति का पता चलता है। इसके अलावा लग्नेश बुध, पंचमेश शनि एवं लाभेश चंद्रमा की अनुकूल स्थितियां कन्या लग्न वालों के लिए धन, ऐश्वर्य एवं वैभव को बढ़ाने में सहायक होती है। वैसे कन्या लग्न के लिए मंगल एवं सूर्य परमपपी हैं। अकेला शुक्र शुभ फलदायक है। चंद्र और बुध योग कारक है। मंगल अष्टमेश होने के कारण सह मारकेश है।

शुभ युति :- बुध + शुक्र

अशुभ युति :- मंगल + बुध

राजयोग कारक :- गुरु व शुक्र

  1. कन्या लग्न में बुध के साथ शुक्रवार शनि हो अथवा लग्न स्थित बुध गुरु शुक्र शनि देखते हो तो जातक शहर का प्रतिष्ठित धनवान व्यक्ति होता है।
  2. कन्या लग्न में पंचम स्थान में शनि लाभ स्थान में बुध हो तो ऐसा जातक अपने हुनर के द्वारा धन कमाता हुआ शहर का प्रतिष्ठित धनवान व्यक्ति बनता है।
  3. कन्या लग्न में शुक्र यदि ब्रश तुला या मीन राशि में हो तो व्यक्ति धनाध्यक्ष होता है। भाग्यलक्ष्मी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती।
  4. कन्या लग्न में शुक्र बुध के घर में तथा बुध शुक्र है घर में राशि परिवर्तन करके बैठे हो, तो व्यक्ति जीवन में व्यापार के द्वारा खूब धन कमाता है एवं लक्ष्मीवान बनता है।
  5. कन्या लग्न में शुक्र चंद्रमा के घर में तथा चंद्रमा शुक्र घर में स्थान परिवर्तन करके बैठे हो तो जातक महाभाग्यशाली होता है।
  6. कन्या लग्न में बुध यदि केंद्र-त्रिकोण में हो तथा शुक्र स्वगृही हो तो ऐसा जातक कीचड़ में कमल की तरह खेलता है, अर्थात निम्न परिवार में जन्म लेकर भी अपने पुरुषार्थ के बल पर करोड़पति बनता है।
  7. कन्या लग्न में बुध लग्नगत हो तथा गुरु शनि से युत या दृष्ट हो तो जातक महाधनी होता है।
  8. कन्या लग्न में पंचमस्थ शनि स्वगृही हो तथा लाभ स्थान में सूर्य, चंद्रमा हो तो जातक महालक्ष्मीवान होता है।
  9. कन्या लग्न में बुध कर्क राशि में तथा चंद्रमा लग्न में हो तो जातक शत्रुओं का नाश करते हुए स्व-अर्जित धनलक्ष्मी को भोगता है।
  10. कन्या लग्न में लग्नेश बुध, धनेश शुक्र एवं लाभेश चंद्रमा अपनी अपनी उच्च या स्वराशि में हो तो जातक करोड़पति होता है।
  11. कन्या लग्न में राहु, शुक्र, मंगल और शनि इन चार ग्रहों की युति हो तो जातक अरबपति होता है।
  12. कन्या लग्न में शनि, शुक्र यदि आठवें स्थान पर हो, परंतु सूर्य लग्न को देखता हो तो ऐसे जातक को गड़े हुए धन की प्राप्ति होती है या लाटरी से रुपया मिल सकता है।
  13. कन्या लग्न में मंगल पंचम स्थान में मकर राशि का हो तो “रुचक योग” बनता है। ऐसा जातक राजा के तुल्य धन व ऐश्वर्य को भोगता है।
  14. कन्या लग्न में सुखेश गुरु व लाभेश चंद्रमा नवम भाव में स्थित हो एवं मंगल से दृष्ट हो तो जातक अनायास ही धन की प्राप्ति करता है।
  15. कन्या लग्न में गुरु+चंद्र की युति तुला, धनु, मकर या वृष राशि में हो तो इस प्रकार के गजकेसरी योग के कारण व्यक्ति उत्तम धन एवं यश की प्राप्ति करता है।
  16. कन्या लग्न में शनि व शुक्र अष्टम में एवं अष्टमेश मंगल धन स्थान में परस्पर परिवर्तन करके बैठे हैं हो तो जातक गलत तरीके जैसे- जुआ, सट्टा से धन कमाता है।
  17. कन्या लग्न में लग्नेश बुध, लाभेश चंद्रमा एवं पंचमेश शनि तीनों अष्टम भाव में एवं सप्तम में मीन राशि का शुक्र हो, तो ऐसा जातक को ससुराल के द्वारा धन प्राप्त होता है।
  18. शुक्र व केतु दूसरे भाव में हो तो व्यक्ति धनवान होता एवं आकस्मिक रूप से धन एवं अर्थ की प्राप्ति करता है।

अपनी जन्म कुंडली से जाने 110 वर्ष की कुंडली, आपके 15 वर्ष का वर्षफल, ज्योतिष्य रत्न परामर्श, ग्रह दोष और उपाय, लग्न की संपूर्ण जानकारी, लाल किताब कुंडली के उपाय, और कई अन्य जानकारी, अपनी जन्म कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें सैंपल कुंडली देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।

कन्या लग्न में रत्न

रत्न कभी भी राशि के अनुसार नहीं पहनना चाहिए, रत्न कभी भी लग्न, दशा, महादशा के अनुसार ही पहनना चाहिए।

  • लग्न के अनुसार कन्या लग्न मैं जातक पन्ना, हीरा, और नीलम रत्न धारण कर सकते है।
  • लग्न के अनुसार कन्या लग्न मैं जातक को मूंगा, पुखराज, मोती, और माणिक्य रत्न कभी भी धारण नहीं करना चाहिए।

कन्या लग्न में पन्ना रत्न

Emerald - 3.38 Carat - GFE06075 - Image 3
Natural Lab Certified Emerald – Panna
  • पन्ना धारण करने से पहले – पन्ने की अंगूठी या लॉकेट को शुद्ध जल या गंगा जल से धोकर पूजा करें और मंत्र का जाप करके धारण करना चाहिए।
  • कौनसी उंगली में पन्ना धारण करें – पन्ने की अंगूठी को कनिष्का उंगली में धारण करना चाहिए।
  • पन्ना कब धारण करें – पन्ने को बुधवार के दिन, बुध के होरे में, बुधपुष्य नक्षत्र को, या बुध के नक्षत्र अश्लेषा नक्षत्र, ज्येष्ठ नक्षत्र, और रेवती नक्षत्र में धारण कर सकते है।
  • कौनसे धातु में पन्ना धारण करें – सोना में या पंचधातु में पन्नाधारण कर सकते है।
  • पन्ना धारण करने का मंत्रॐ बुं बुधाय नमः। इस मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए।
  • ध्यान रखे पन्ना धारण करते समय राहुकाल ना हो।
  • नेचुरल और सर्टिफाइड पन्ना खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें या संपर्क करें 08275555557 पर सुबह 11 बजे से रात 8 बजे के बीच।

कन्या लग्न में नीलम रत्न

Blue Sapphire - 6.37 Carat - GFE08074 - Image 4
Natural Lab Certified Blue Sapphire – Neelam
  • नीलम धारण करने से पहले – नीलम की अंगूठी या लॉकेट को शुद्ध जल या गंगा जल से धोकर करें एवं पूजा करें और मंत्र का जाप करके धारण करना चाहिए।
  • कौनसी उंगली में नीलम धारण करें – नीलम की अंगूठी को मघ्यमा उंगली में धारण करना चाहिए।
  • नीलम कब धारण करें – शनिवार के दिन, शनिपुष्य नक्षत्र को, शनि के होरे में, या शनि के नक्षत्र पुष्य नक्षत्र,अनुराधा नक्षत्र, और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में नीलम धारण कर सकते है।
  • कौनसे धातु में नीलम धारण करें – चांदी, लोहे, प्लैटिनम या सोने में नीलम धारण कर सकते है।
  • नीलम धारण करने का मंत्र ॐ शं शनिश्चराय नम: इस मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए।
  • ध्यान रखे नीलम धारण करते समय राहुकाल ना हो।
  • नेचुरल और सर्टिफाइड नीलम खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें या संपर्क करें 08275555557 पर सुबह 11 बजे से रात 8 बजे के बीच।

मकर लग्न में हीरा रत्न

Gemstone testing 10
Natural Lab Certified Diamond – Hira
  • हीरा धारण करने से पहले – हीरे की अंगूठी या लॉकेट को दूध, शुद्ध जल या गंगा जल से धोकर पूजा करें और मंत्र का जाप करके धारण करना चाहिए।
  • कौनसी उंगली में हीरा धारण करें – हीरे की अंगूठी को मघ्यमा या कनिष्का उंगली में धारण करना चाहिए।
  • हीरा कब धारण करें – हीरा को शुक्रवार के दिन, शुक्र के होरे में, शुक्रपुष्य नक्षत्र में, या शुक्र के नक्षत्र भरणी नक्षत्र, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में धारण कर सकते है।
  • कौनसे धातु में हीरा धारण करें – चांदी, प्लैटिनम या सोने मे हीरा रत्न धारण कर सकते है।
  • हीरा धारण करने का मंत्रॐ शुं शुक्राय नम:। इस मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए।
  • ध्यान रखे हीरा धारण करते समय राहुकाल ना हो।
  • नेचुरल और सर्टिफाइड हीरा खरीदने के लिए संपर्क करें 08275555557 पर सुबह 11 बजे से रात 8 बजे के बीच।

अन्य लग्न की जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

सावधान रहे – रत्न और रुद्राक्ष कभी भी लैब सर्टिफिकेट के साथ ही खरीदना चाहिए। आज मार्केट में कई लोग नकली रत्न और रुद्राक्ष बेच रहे है, इन लोगो से सावधान रहे। रत्न और रुद्राक्ष कभी भी प्रतिष्ठित जगह से ही ख़रीदे। 100% नेचुरल – लैब सर्टिफाइड रत्न और रुद्राक्ष ख़रीदे, अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें, नवग्रह के रत्न, रुद्राक्ष, रत्न की जानकारी और कई अन्य जानकारी के लिए। आप हमसे Facebook और Instagram पर भी जुड़ सकते है

नवग्रह के नग, नेचरल रुद्राक्ष की जानकारी के लिए आप हमारी साइट Gems For Everyone पर जा सकते हैं। सभी प्रकार के नवग्रह के नग – हिरा, माणिक, पन्ना, पुखराज, नीलम, मोती, लहसुनिया, गोमेद मिलते है। 1 से 14 मुखी नेचरल रुद्राक्ष मिलते है। सभी प्रकार के नवग्रह के नग और रुद्राक्ष बाजार से आधी दरों पर उपलब्ध है। सभी प्रकार के रत्न और रुद्राक्ष सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाते हैं। रत्न और रुद्राक्ष की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

Speak with a Gemstone Expert

Need help or guidance selecting your perfect Gemstone? Speak with our Experts at (+91) 8275555557 or (+91) 8275555507

Gems For Everyone is a global authority in Diamond Jewellery, GIA-IGI Certified Diamonds, and Astrological Gemstones. With over 10,00,000+ Happy Customers and a 4.9 / 5 Google Review Rating, we take pride in our exceptional services. Explore a vast collection of 1000+ articles written by our Gem Professionals and Astro Gemologists covering Diamonds, Gemstones, Rudraksha, and Astrology. Visit the Gems For Everyone Blog and Education Section to dive into a world of knowledge.

At Gems For Everyone, we understand the importance of authenticity and customer trust. We take pride in being a reliable and established source for authentic diamond jewellery & gemstones. Our commitment to providing genuine products ensures that you receive only the finest jewellery & gems that will truly enrich your life.

Shop with confidence and explore our exquisite collection of genuine diamonds & gemstones. Your satisfaction and trust are our top priorities.

Connect with Us

Personalized Gemstone Consultation

Gems For Everyone has a team of learned astrologer who will guide you in choosing the most suitable astrological gemstones on the basis of your birth-details.

Gem Consultation Premium Kundli
GFE Janam Kundli

Share this to