तुला लग्न
तुला लग्न के जातक के लिए शुक्र लग्नेश वह अष्टमेश का स्वामी है लग्नेश को अष्टमेश का दोष नहीं लगता इसलिए तुला लग्न वाले हीरा पहन सकते हैं या जिरकॉन या ओपल पहन सकते हैं। तुला लग्न में शनि पंचमेश…
तुला लग्न के जातक के लिए शुक्र लग्नेश वह अष्टमेश का स्वामी है लग्नेश को अष्टमेश का दोष नहीं लगता इसलिए तुला लग्न वाले हीरा पहन सकते हैं या जिरकॉन या ओपल पहन सकते हैं। तुला लग्न में शनि पंचमेश…
गोमेद गारनेट रत्न समूह का रत्न है जिसे अंग्रेजी में हैसोनाइट कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इसे राहू का रत्न माना जाता है। यह लाल रंग लिए हुए पीला एकदम गोमूत्र के रंग जैसा होता है। यह भी एक प्रभावशाली…
कुंभ लग्न में लग्नेश शनि लग्न का और द्वादश स्थान का होते हुए भी लग्नेश उसकी मूल त्रिकोण राशि लग्न में पढ़ती है अतः कुंभ लग्न के जातक को शनि का रत्न नीलम सदा शुभ फल देता है इसलिए शनि…
गोमेद गारनेट रत्न समूह का रत्न है जिसे अंग्रेजी में हैसोनाइट कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इसे राहू का रत्न माना जाता है। यह लाल रंग लिए हुए पीला एकदम गोमूत्र के रंग जैसा होता है। यह भी एक प्रभावशाली रत्न है जो राहू…
प्रथम भाव में स्थित राहु का फल राहु फल विचारइस भाव में स्थित राहू के मिश्रित फल कहे गए हैं। आप परोपकारी और धैर्यवान व्यक्ति हैं। यहां स्थित राहू आपके कद को ऊंचा बनाता है। आपका शरीर कभी रोगी तो…
लहसुनिया को केतु ग्रह का रत्न माना जाता है। इसे वैदूर्य मणि, सूत्र मणि, केतु रत्न, कैट्स आई, विडालाक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इस रत्न का रंग हल्का पीला होता है। यह रत्न दिखने में थोड़ा-सा बिल्ली…
सिंह लग्न में सूर्य लग्नेश प्रथम भाव का स्वामी होता है जीवन में आत्मविश्वास आरोग्यता उन्नति प्रदान करता है इसके लिए सूर्य का रत्न माणिक धारण करना चाहिए। मंगल चतुर्थ व नवम भाव का स्वामी है अतः मंगल का रत्न मूंगा…
लहसुनिया रत्न का नवग्रहों की श्रेणी में अन्तिम ग्रह केतु वास्तव राहु का शरीर है। इस ग्रह की गड़ना भी पापक ग्रहों में की जाती है। किन्तु, जातक की कुण्डली में शुभ स्थिति में होने पर यह सुखद परिणाम भी…
मेष लग्न के लिए सूर्य पंचम का स्वामी है इस कारण संतान सुख और विद्या बुद्धि के लिए सूर्य का रत्न माणिक धारण करना शुभ होता है। मेष लग्न में बृहस्पति त्रिकोण भाग्य और द्वादश स्थान के स्वामी है अतः…
लग्न कुंडली के अनुसार लग्न भाव, पंचम भाव और नवम भाव के रत्न पहने जा सकते हैं। रत्न पहनने के लिए दशा-महादशाओं का अध्ययन भी जरूरी है। केंद्र या त्रिकोण के स्वामी की ग्रह महादशा में उस ग्रह का रत्न।…
वृषभ लग्न की कुंडली में शुक्र लग्नेश है अतः इस लग्न के जातक को स्वास्थ्य लाभ और आयु तथा जीवन में उन्नति प्राप्ति के लिए हीरा धारण करना चाहिए। शुक्र लग्नेश व षष्टम स्थान का मालिक है फिर भी षष्टम…
वृश्चिक लग्न में मंगल लग्न का स्वामी है तथा षष्टम भाव का भी स्वामी है इसलिए वृश्चिक लग्न में षष्टम का दोष नहीं लगता वृश्चिक लग्न के जातक को मूंगा पहनना चाहिए। वृश्चिक लग्न में बृहस्पति धन स्थान एवं पंचमेश …
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