नीलम रत्न शनि गृह का प्रतिनिधि रत्न है
यह एक अत्तयंत प्रभावशाली रत्न होता है कहते है की यदि नीलम किसी भी व्यक्ति को रास आ जाए तो वारे न्यारे कर देता है , लेकिन आखिर इस तथ्य की पीछे क्या सिद्धांत है। क्या वाक्य में नीलम धारण…
यह एक अत्तयंत प्रभावशाली रत्न होता है कहते है की यदि नीलम किसी भी व्यक्ति को रास आ जाए तो वारे न्यारे कर देता है , लेकिन आखिर इस तथ्य की पीछे क्या सिद्धांत है। क्या वाक्य में नीलम धारण…
मोती अलग-अलग प्रकार के पाए जाते हैं:–मोती, साउथ सी मोती, कैसी मोती, या बसरा मोती, मुक्ता, मोक्तिम, इंदुरत्न, आदि कई नामों से जाना जाता है। मोती रत्न के स्वामी चन्द्र है. इस रत्न को अपने लग्न अनुसार धारण किया जाये…
सूर्य गृह से सम्बंधित रोग : सिरदर्द , ज्वर , नैत्रविकार , मधुमेय , पित्त रोग , हैजा , हिचकी आदि | रत्न उपरत्न : माणिक्य , लालड़ी , तामडा , महसूरी | जड़ी बूटिया : बेलपत्र की जड़ दान…
यदि जन्म कुण्डली या वर्ष में राहु अषुभ हो तो शांति के लिए राहु के बीजमंत्र का 18000 की संख्या में जप करें। राहु का बीज मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः राहु के निमित्त दान वस्तुएं- सप्तधान्य,…
राहु एक छाया ग्रह है। इसका अपना कोई अस्तित्व नहीं है, यह जिस भाव, राशि, नक्षत्र या ग्रह के साथ से जुड़ जाता है, उसके अनुसार ही अपना फल देने लगता है। राहु जब नीच का या अशुभ होकर प्रतिकूल…
गोमेद गारनेट रत्न समूह का रत्न है जिसे अंग्रेजी में हैसोनाइट कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इसे राहू का रत्न माना जाता है। यह लाल रंग लिए हुए पीला एकदम गोमूत्र के रंग जैसा होता है। यह भी एक प्रभावशाली रत्न है जो राहू…
रुद्राक्ष देवता मंत्र १ मुखी शिव ॐ नमः शिवाय । ॐ ह्रीं नमः २ मुखी – अर्धनारीश्वर ॐ नमः ३ मुखी – अग्निदेव ॐ क्लीं नमः४ मुखी ब्रह्मा,सरस्वती ॐ ह्रीं नमः ५ मुखी – कालाग्नि रुद्र ॐ ह्रीं नमः ६…
चन्द्रमा का एक राशिचक्र 27 नक्षत्रों में विभाजित है, इसलिए अपनी कक्षा में चलते हुए चन्द्रमा को प्रत्येक नक्षत्र में से गुजरना होता है। आपके जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होगा, वही आपका जन्म नक्षत्र होगा। आपके…
अश्विनी नक्षत्र: अश्विनी नक्षत्र देवता : अश्विनीकुमार नक्षत्र स्वामी : केतु नक्षत्र आराध्य वृक्ष : कुचला राशी व्याप्ती : ४ हि चरण मेष राशी मे नक्षत्र प्राणी: घोडा नक्षत्र तत्व : वायु नक्षत्र स्वभाव : शुभ वेद मंत्र:ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु:…
अश्विनी नक्षत्र वेद मंत्र:ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वतीवीर्य्यम वाचेन्द्रो बलेनेन्द्रायदद्युरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम: === 5000 भरणी नक्षत्र वेद मंत्र:ॐ यमाय त्वाङ्गिरस्य्ते पितृिमते स्वाहा स्वाहा धर्माय स्वाहा धर्मपित्रे । 10000 कृतिका नक्षत्र वेद मंत्र:ॐ अयमग्नि सहस्रीणो वाजयस्य शान्ति (गुं)…
जन्मकुंडली के प्रथम भाव से जातक, तीसरे भाव से छोटे भाई-बहन, चैथे भाव से माता, पांचवे भाव से पुत्र, छठे भाव से मामा का सुख, सातवें भाव से पति/पत्नी, दसवें भाव से पिता और ग्यारहवें भाव से बड़े भाई-बहनों का…
कुंडली में बनने वाले योग ही बताते है कि व्यक्ति की आजीविका का क्षेत्र क्या रहेगा. प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश की लालसा अधिकांश लोगों में रहती है। प्रशासनिक अधिकारी बनकर सफलता पाने के लिए सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र…
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