रत्न
मनुष्य रत्नों एवं मणियों का प्रयोग आभूषणों, मुकुटों, राज सिंहासनों, महलों की सजावट आदि में प्राचीन काल से करता आया है।आयुर्वेद में इन रत्नों की भस्मों आदि का उपयोग विभिन्न रोगों की चिकित्सा में किया जाता है। अधिकांशतः रत्न खनिज…
मनुष्य रत्नों एवं मणियों का प्रयोग आभूषणों, मुकुटों, राज सिंहासनों, महलों की सजावट आदि में प्राचीन काल से करता आया है।आयुर्वेद में इन रत्नों की भस्मों आदि का उपयोग विभिन्न रोगों की चिकित्सा में किया जाता है। अधिकांशतः रत्न खनिज…
पंच महापुरूष योगों का ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। ये योग हैं रूचक, भद्र, हंस, मालव्य, शश। जो क्रमशः मंगल, बुध, गुरू, शुक्र व शनि ग्रहों के कारण बनते हैं। मंगल ग्रह के कारण रूचक योग –यदि मंगल अपनी…
केंद्र या त्रिकोण (1,4,5,7,9,10) के स्वामी की ग्रह महादशा में उस ग्रह का रत्न पहनने से अधिक लाभ मिलता है। आप को रत्न के अनुसार उस ग्रह के लिए निहित वार वाले दिन शुभ घड़ी में रत्न पहना जाता है।…
एक साथ वर्जित रत्न जब मैंने रत्नों के बारे में लिखा तो बहुत से लोगों ने कई अजीब बातें बताई. कोई जन्म तिथि के अनुसार रत्न पहन रहा है, तो कोई शौक से, कोई नीलम और माणिक एक साथ पहन…
नव रत्न सामान्य तौर पर ग्राहों-नक्षत्रों के अनुसार ज्योतिष में मात्र नवरत्नों को ही लिया जाता है। इन रत्नों के उपलब्ध न होने पर इनके उपरत्न या समान प्रभावकारी रत्नों का प्रयोग किया जाता है। भारतीय मान्यता के अनुसार कुल…
सूर्य सूर्य तांत्रिक मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:।एकाक्षरी बीज मंत्र- ॐ घृणि: सूर्याय नम: जप संख्या- 7000।दान- माणिक्य, गेहूं, धेनु, कमल, गुड़, ताम्र, लाल कपड़े, लाल पुष्प, सुवर्ण। चंद्र चंद्र तांत्रिक मंत्र – ‘ॐ श्रां श्रीं…
सूर्य ग्रह का रत्न मानिक्य व उपरत्न स्टार माणक, रतवा हकीक, तामडा, लाल तुरमली चन्द्र ग्रह का रत्न मोती व उपरत्न दूधिया हकीक, सफेद मूंगा, चन्द्रकांत मणि, सफेद पुखराज मंगल ग्रह का रत्न मूंगा व उपरत्न लाल हकीक, लाल ओनेक्स,…
जन्म समय, दिन मान तिथि स्थान से हम जातक के जन्म कुंडली बनाते है जो जन्म के समय गोचर ग्रह हो और उसी से उसके पूरे जीवन पर होने वाले शुभ अशुभ आदि के बारे में सटीक भविष्य वाणी करते…
कुंडली में दूसरे भाव को ही धन भाव कहा गया है। इसके अधिपति की स्थिति संग्रह किए जाने वाले धन के बारे में संकेत देती है। कुंडली का चौथा भाव हमारे सुखमय जीवन जीने का संकेत देता है।पांचवां भाव हमारी…
9 मुख्य रत्न , माणिक्य, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया नवरत्न की श्रेणी में प्रतिष्ठित हैं। इन नवरत्नों के अलावा जो रत्न हैं उन्हें उपरत्न कहा जाता है। कठोरता, टिकाउपन, चमक दमक, पारदर्शिता में ये उपरत्न…
आपकी कुंडली मैं पंचम भाव का स्वामी ग्रह (पंचमेश) आपके इष्ट देव है।चाहे लाख दोष हो आपकी कुंडली मैं अच्छा फल नहीं दे रहे हो तो।इष्टदेव की आराधना, उपासना, वंदना, पूजा करने से बहुत से परेशानी से मुक्ति मिलेगी। मेष लग्नसूर्य…
मेष चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आराशि स्वरूप: मेंढा जैसा, राशि स्वामी- मंगल। राशि चक्र की सबसे प्रथम राशि मेष है। जिसके स्वामी मंगल है। धातु संज्ञक यह राशि चर (चलित) स्वभाव की होती है। राशि का…
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